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Nomad ! I love travelling and had been to almost all the corners in India and other countries include Germany , France , Italy , Hungary , Austria , The Netherland , Belgium .

©मुसाफ़िर

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©मुसाफ़िर

20 May 2013

My Dispersed Thoughts....

 
 


(१)
वो बस मंजिल का भरम था ख्वाब में ...
आँख खुलते ही रास्ते मुस्कुराने लगे .

  (२)
पानी को लेकर देश में मची है हाहाकार , पैसे वाले कर रहे , खून का व्योपार .

  (३)
गाँव में फूल रहे हैं टेसू के फूल , शहर में मिलते सिर्फ मिटटी और धुल .

  (४)
दिल की दुकाने सजी , प्यार हुआ व्योपार ... हम जैसे सादा दिलों का , कोई नहीं खरीदार .

  (५)
रास्ते कह रहे हैं क्यों मंजिल की फिकर है , मंजिल मिलते ही पैरों के छाले सताते बहुत हैं .

  (६)
रास्ते बड़े अच्छे लगते थे ,जब तुम हमसफ़र थे .... अब तो मील के पत्थर भी मुंह चिढाते लगते हैं .

  (७)
गाँव से जाते देखकर कहने लगे पीपल,बेर, बबूल , देखो मुसाफिर जा रहा खाने शहर की धुल .

  (८)
शाम अब भी वही है...बस तू नहीं तेरी यादेँ साथ हैं , और है वो 'मीठी' चाय जो कभी साथ पीते थे हम... !

  (९)
गाँव के चौपाल में लगी पंचों की भीड़ , कटघरे में खड़े फिर से राँझा और हीर .

  (१०)
प्रजातंत्र के नाम पर , खूब बढाई भीड़ ... आज देश को लूट रहे नेता ,बाबा, पीर .

  (११)
तेरी आँखों से पीते हैं आजकल ....
और वाइज़ ये समझे हैं की हम नमाज़ी हो गए .

  (१२)
शाम ओ सहर का हाल लिखा...
अपना हाल बेहाल लिखा .

  (१३)
तमाम ज़ुल्म हैं , मजबूरियां हैं , बंदिशें हैं ,
फिर भी कुछ उम्मीदें हैं ,ख्वाब हैं , ज़िन्दगी है .


(१४)  
कुछ सवालों ने रातों की नींदें उदा दी हैं ,
जवाबों में भी तो रतजगे लिखे हैं .
(१५)
दिल की बात समझ ना पाया ,
दिमाग तो उसने बहुत लगाया .

  (१६)
दिल लगाने वालों को कहाँ मिलती हैं मंजिलें ,
रहगुजर होते हैं , हमसफ़र होते हैं ...!

  (१७)
प्यार अब जरूरतों के हिसाब से होती है मुसाफिर , आज तुम्हारी जरुरत है , कल किसी और की ....!

  (१८)
ये अलसाए पेड़ कभी सोते नहीं रात भर , पहाड़ों में सुबह कुछ यूँ होती है ....!

  (१९)
सारे शहर में ये चर्चा आम है , बेवफाई उसकी और हम बदनाम हैं .
 
(२०)
ज़िन्दगी में ग़म भी होंगे और ख़ुशी भी होंगे , हर बरसात के बाद बसंत के मौसम भी होंगे .

  (२१)
ज़िन्दगी बिताने के लिए साथ , तू नहीं तेरा ग़म ही सही जाना ...!