(1)
चाँद भी रात भर भटकता रहता है अपनी धुन में ,
सितारों की भीड़ में है 'मुसाफ़िर' आवारा चाँद .
(2)
चाँद फिर निकल आया है , चांदनी रातों में ,
तेरी तस्वीर फिर आ गयी ,भीगी सी आँखों में .
(3)
इस अजनबी शहर में फक्त तेरी याद का सहारा है ,
वरना कब के हम भी कही ग़ुम हो गए होते .
(4)
कभी कभी दिल के हाथों मजबूर होकर हमने भी ,
तेरी यादों के सहारे शाम-ओ-सहर बितायी है .
(5)
दिल , दोस्ती , प्यार , वफ़ा ,ख़ुलूस 'मुसाफिर' ,
मिलते हैं ये सब अब तो किताबों के पन्नो में .
(6)
देख के यारों की यारी 'मुसाफिर' ये ख्याल आता है ,
हम तन्हा ही ठीक हैं यारों के इस भीड़ में .
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