के पीछे मुड़कर देखने की हसरत चैन-ओ-करार छीन लेती है .
                         (2)
ज़िन्दगी की बाज़ी में कुछ दाँव क्या हारे 'मुसाफ़िर' ,
यारों की दुआ सलाम को भी तरस गए ...!!
                         (3)
फूलों से सीखो ज़िन्दगी का सलीक़ा 'मुसाफ़िर' ,
मुरझाने से पहले चमन महका जाते हैं ...!!
                         (4)
तुम्हारे आने से पहले भी ज़ी तो रहे थे मगर ,
तुम आये , प्यार आया , ज़िन्दगी आई...!!
                         (5)
कोई शख्स दिल में इस कदर उतर गया है 'मुसाफ़िर' ,
दोस्तों की मौजूदगी भी अब तो भीड़ लगती है .  
                         (6)
प्यार का जादू भी क्या क्या तमाशे दिखाता है ,
हर तमाशे में क़िरदार बदलता जाता है .
                         (7)
ज़िन्दगी ने भी क्या क्या रंग दिखाए 'मुसाफ़िर' ,
ज़िन्दगी ने भी क्या क्या रंग दिखाए 'मुसाफ़िर' ,
अब तो सब से यही कहते फिरते हैं , 'ज़िन्दगी बहुत रंगीन है' .


 
 


