(1)
उन्हें शिकायत है हमें क़द्र नहीं जज्बातों की ,
शायद उन्हें नहीं पता दो वक़्त की रोटी क्या चीज़ है .
(2)
तुझ से मिला तो ये हुआ एहसास ,
चकोर चाँद को देखता क्यों है ..!!
(3)
कुछ लोग ज़िन्दगी में मौसम की तरह आते हैं ,
कुछ दिन ठहरकर , चुपके से गुज़र जाते हैं.
(4)
मुलाक़ात प्यार में जरूरी तो नहीं 'मुसाफ़िर' ,
वो अनकही बातें समझ लेते हैं ,ये क्या कम है .
(5)
किसी को यूँ भी , दिल में ना बसाओ 'मुसाफ़िर' ,
किसी को यूँ भी , दिल में ना बसाओ 'मुसाफ़िर' ,
सुना है इस मकान के माकीं बहुत तड़पाते हैं .
(6)
छीन के मेरा सब्र-ओ-करार क्या पाएगी ,
ऐ ज़िन्दगी ये तेरे किस काम आएगी .
(7)
ग़म में जीने का मज़ा ही कुछ और है 'मुसाफ़िर' ,
ग़म में जीने का मज़ा ही कुछ और है 'मुसाफ़िर' ,
खुशियों की तरह ये साथ तो नहीं छोड़ती .
(8)
वो भी क्या दिन थे 'मुसाफ़िर' , जब दीवारों से घर बनता था ,
अब घर में बनती हैं दीवारें .
जब दादी-चाची-बुआ-अम्मा-ताई की लगती थी चौपाल ,
अब दिलों के बीच बन गयी है दीवारें .
bahut dard bharaa hai tere in nagmaat me,
ReplyDeleteyoon hi kabhi aansuon ki barsaat kar diya karo....!bahut dard bharaa hai tere in nagmaat me,
yoon hi kabhi aansuon ki barsaat kar diya karo....!
awesome!!
ReplyDeleteLast one is super awesome. Touching n true.
ReplyDeleteI also liked 4th one a lot.
Very very very nice :)
super duper dude...loved all
ReplyDelete@Chhablani : Thanks Bro ! :)
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